ग्रेटर नोएडा।
भारत में रक्षा क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की तैयारी तेज हो गई है। फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन कंपनी अब नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों राफेल और मिराज-2000 की मरम्मत और रखरखाव (MRO) का काम करेगी। यह देश का पहला ऐसा हब होगा जहां फाइटर जेट्स की सेवा भारत में ही की जाएगी।

10वीं पास युवाओं को सुनहरा मौका

इस MRO हब के साथ एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस और यूनिवर्सिटी भी स्थापित की जाएगी, जहां 10वीं और 12वीं पास छात्रों को एयरोनॉटिकल और एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस की ट्रेनिंग दी जाएगी।

10वीं पास के लिए: 3 साल का डिप्लोमा कोर्स व 1 साल का MRO अप्रेंटिसशिप

12वीं पास के लिए: B.Sc. डिग्री इन एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस, एवियोनिक्स, वेक्टर टेक्नोलॉजी

6 महीने का शॉर्ट-टर्म कोर्स भी प्रस्तावित

MRO हब से बदलेगा भविष्य

दूसरे चरण में नोएडा एयरपोर्ट के पास MRO हब को 1365 हेक्टेयर में विकसित किया जाएगा, जहां लड़ाकू विमानों के साथ यात्री विमानों की भी मरम्मत की जाएगी। इससे अमेरिका, सिंगापुर और चीन पर भारत की निर्भरता कम होगी।

तमिलनाडु से उत्तर प्रदेश का रुख

पहले कंपनी तमिलनाडु में निवेश करने जा रही थी, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार की सक्रिय पहल और FDI नीति के तहत मिलने वाली सब्सिडी (12 करोड़ रुपये) ने फैसला पलट दिया। अब डसॉल्ट नोएडा में अपना निवेश और ऑपरेशंस शुरू करेगी।

भारत बनेगा MRO सुपरपावर

भारत में इस समय MRO सेक्टर का आकार 1.7 बिलियन डॉलर है, जो 2030 तक 7 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। इससे देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने में जबरदस्त मदद मिलेगी।