योगी सरकार का बड़ा फैसला: अफसरों की पत्नियों को अब नहीं मिलेंगे सरकारी पद
उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी अफसरों की पत्नियों को सरकारी समितियों, ट्रस्टों और सोसाइटी में पद देने की परंपरा को खत्म करने का फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट की सख्त फटकार के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। अब सरकारी समितियों में केवल चुने गए प्रतिनिधि ही काम करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बाद सरकार की कार्रवाई
मई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रथा को औपनिवेशिक मानसिकता करार दिया था। कोर्ट ने कहा था कि नौकरशाहों की पत्नियों को पद देना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। बुलंदशहर में डीएम की पत्नी को जिला महिला समिति की अध्यक्ष बनाने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई थी और सरकार से इस परंपरा को खत्म करने को कहा था।
अब कैसे होगा चयन?
योगी सरकार ने कोर्ट को बताया कि सहकारी समितियों, ट्रस्टों और सोसाइटी में बदलाव किए जाएंगे।
✔ अब अफसरों की पत्नियों को पदेन पद (Ex-Officio) नहीं मिलेंगे।
✔ सभी पद लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए लोगों को दिए जाएंगे।
✔ अगर कोई संस्था सरकारी सहायता लेती है, तो उसे नए नियमों का पालन करना होगा।
सरकार का रुख
सरकार का कहना है कि इस बदलाव से सरकारी संस्थानों में पारदर्शिता आएगी और आम लोगों को भी नेतृत्व का मौका मिलेगा।
निष्कर्ष
योगी सरकार के इस फैसले से सरकारी समितियों और संस्थानों में वीआईपी कल्चर खत्म होगा। अब सिर्फ लोकतांत्रिक रूप से चुने गए लोग ही इन पदों पर बैठेंगे, जिससे पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहेगी।