पीएचसी पला साहिबाबाद पर मनाया गया विश्व अल्जाइमर्स जागरूकता दिवस

 

-बुजुर्गों के प्रति अपनापन दिखाएं व भूलने की बीमारी से बचाएं

-अत्यधिक नशा व नशीले पदार्थो का सेवन व एकल परिवार व्यवस्था भी बन रहा अल्जाइमर का कारण : डॉ अंशु एस सोम

 

अलीगढ़, 21 सितंबर 2021 ‌।

 

अल्जाइमर दिवस पर पीएचसी पला साहिबाबाद में मेगा मानसिक स्वास्थ्य शिविर और जागरूकता कार्यक्रम का आयोजित हुआ। इसका अपर निदेशक परिवार कल्याण कार्यालय के जेडी (संयुक्त निदेशक) डॉ वीके सिंह एवं नोडल अधिकारी (एनसीडी) डॉक्टर खान चंद ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस मौके पर आशा एवं एएनएम, पीएचसी कर्मियों व बुजुर्गों को अल्जाइमर्स के बारे में जानकारी दी गई।

 

उद्घाटन के दौरान जेडी (संयुक्त निदेशक) डॉ वीके सिंह ने कहा कि सरकारी अस्पतालों पर पहले से काफी सुधार हुआ है और सरकारी अस्पताल मै अब मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों को लेकर सरकार द्वारा अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किए जाते है । उन्होंने बताया गर्भवती महिलाओं को कोई भी मानसिक या भावनात्मक बदलाव के प्रति कोई भी दबाव नहीं लेना चाहिए और उन्हें खान – पान का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए। जागरूक व अच्छे तरीके से ध्यान रखना चाहिए ।

 

नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पला साहिबाबाद पर डॉ वीके सिंह द्वारा अल्जाइमर्स दिवस पर मानसिक रोग के प्रति लोगों को जागरूक किया गया और उन्होंने कहा कि यदि किसी को कोई भी परेशानी हो तो मलखान सिंह जिला चिकित्सालय में मानसिक रोग विभाग की साइकोथैरेपिस्ट डॉ अंशु एस सोम से मिलकर अपना इलाज करा सकते हैं । मलखान सिंह में सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को स्वास्थ्य परीक्षण व मानसिक रोग का इलाज ओपीडी 6 बी में उपलब्ध किया जाता है |

 

 

मानसिक रोग विभाग की साइकोथैरेपिस्ट डॉ अंशु एस सोम ने बताया हर साल 21 सितंबर को विश्व भर में ”विश्व अल्जाइमर दिवस” मनाया जाता है। अल्जाइमर रोग एक दिमाग से संबंधित बीमारी है, जिसका सीधा असर याद्दाश्त क्षमता पर होता है। यह एक प्रोग्रेसिव बीमारी है। इस समस्या के होने पर मरीज को कुछ भी ठीक से याद नहीं रहता है। मरीज की याद्दाश्त गंभीर रूप से कम होने लगती है। इसे डिमेंशिया का भी एक रूप माना जाता है। यह एक न्यूरोडीजेनेरेटिव (neurodegenerative) बीमारी है, जिसमें मस्तिष्क की कोशिकाओं को लगातार नुकसान पहुंचता है। वैसे तो यह बीमारी उम्र बढ़ने के साथ होती है, पर आजकल का बेतरतीब रहन-सहन, खानपान के कारण कम उम्र में भी यह समस्या लोगों को प्रभावित कर रही है। हालांकि, सही समय पर अल्जाइमर रोग (वर्ल्ड अल्जाइमर्स डे 2021) की पहचान कर ली जाए, तो इससे काफी हद तक बचा जा सकता है।

 

पला साहिबाबाद की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ अंशु सक्सेना के मुताबिक, सही डाइट का सेवन (diet for alzheimer) करके भविष्य में अल्जाइमर के खतरे को करीब 40 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है. आइए अल्जाइमर से बचाव या लड़ने वाले फूड्स के बारे में जानते हैं. जिन्हें अपनी डाइट में शामिल किया जा सकता है।

 

एडी हेल्थ कार्यालय से डिविजनल कंसलटेंट सुप्रीम कुमार सागर ने बताया कि बुजुर्गों में उम्र बढ़ने के साथ-साथ कई तरह की बीमारियां शरीर में पनपने लगती हैं, इन्हीं में से एक बीमारी बुढ़ापे में भूलने की आदत (अल्जाइमर्स -डिमेंशिया) है। इस बीमारी से जूझ रहे बुजुर्गों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि सही समय पर इसकी पहचान कर उपचार कराया जाए तो इसे रोका जा सकता है। इस बीमारी की जद में आने से बचाने के लिए हर साल सितंबर माह में विश्व अल्जाइमर्स-डिमेंशिया दिवस मनाया जाता है।

 

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-एक 65 वर्षीय महिला शकुंतला सक्सेना ने बताया बुजुर्ग जो जागरूकता कार्यक्रम के विषय मै जानकर पीएचसी आई और उन्होंने अपने स्वयं के अनुभव सभी के साथ अपने विचार व्यक्त किए । उन्होंने बताया कि किस प्रकार पूर्ण जीवन वे आत्मनिर्भर जीवन जीती रही और आज उन्हें याददाश्त से जुड़ी को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने लोगो से अपील की कि अपना ओर अपने बुजुर्गो का खास खयाल रखें।

 

कार्यक्रम में अल्जाइमर दिवस के मौके पर एनसीडी विभाग के नोडल अधिकारी डॉक्टर खानचंद, एनसीडी संचालन विभाग की रागिनी, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ अंशु सक्सेना, अपर निदेशक परिवार कल्याण कार्यालय से सुप्रीम कुमार सागर व अमित कुमार यादव, शाहरी अर्बन (पीएससी) के प्रभारी अर्बन हेल्थ को-ऑर्डिनेटर अकबर खान, पीएसआई संस्था से सिटी मैनेजर उमाम फारूक एवं आशा व एएनएम पीएससी पर कार्यरत कर्मचारी जनमानस अल्जाइमर से ग्रसित मरीज व उनके परिवार जनों ने इस कार्यक्रम में सहभागिता प्रदान की ।

 

 

 

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कैसे करें बचाव:

नियमित व्यायाम, पौष्टिक भोजन, हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने से काफी हद तक इस बीमारी से बचा जा सकता है। जो लोग इससे ग्रस्त हैं, उन्हें सक्रिय और सकारात्मक रहना चाहिए। वातावरण को भी सकारात्मक बनाएं रखें। यदि रोगी का रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग हैं तो उनकी समुचित चिकित्सा कर नियंत्रण में रखें और पीड़ित को तंबाकू, मद्यपान इत्यादि व्यसनों से मुक्त करें।

 

 

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कोई भी हो सकता है अल्जाइमर का शिकार:

विशेषज्ञों के अनुसार, अब यह बीमारी सिर्फ बुजुर्गों तक ही सीमित नहीं रह गई है। यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चल सकती है। एक बार यह बीमारी हो जाए, तो उम्र बढ़ने के साथ बीमारी और भी बढ़ जाती है।

 

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अल्जाइमर के प्रारंभिक लक्षण:

-इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को रोजमर्रा के कामकाज में परेशानी होने लगती है।

 

-फोन मिलाने और किसी काम में ध्यान लगाने में दिक्कत आने लगती है।

 

-कोई फैसला लेने की क्षमता कम हो जाती है।

 

-चीजें इधर उधर रखकर भूलने लगते हैं।

 

-शब्द भूलने लगते हैं, जिससे सामान्य बातचीत में रुकावट आती है।

 

-अपने घर के आसपास की गलियों, रास्तों को भूल जाते हैं।

 

-रोगी के रोजमर्रा के व्यवहार में बहुत तेजी से बदलाव आता है।