गन्ने में चोटी बेधक, जड़ बेधक तथा अन्य कीट व लाल सड़न रोग से फसल को बचाएं
पहासू त्रिवेणी शुगर मिल सबितगढ़ में क्षेत्रीय गन्ना प्रजनन संस्थान ,करनाल के पूर्व निदेशक डा० एस० के० पाण्डेय दौरे पर आये हुए है संवादाता से एक विशेष साक्षात्कार में गन्ना प्रजाति को- 02.38 पेड़ी फसल में दिखाई दे रही लाल सड़न के लक्षण एवं गन्ने की अन्य सभी प्रजातियों में दिखाई दे रहे कीटों को आपतन पर चिन्ता व्यक्त की। लाल सड़न एवं कीटों के रोकथाम हेतु प्रश्न पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि यद्यपि रोकथाम कार्य में थोड़ा विलम्ब हो गया है, पर अब भी किसान अगर एक सप्ताह के अन्दर रखेतों में उपाय कर लें तो फसल की पैदावार में होने वाली गिरावट से बचा जा सकता है। उन्होंने किसानों को लाल सड़न एवं कीटों से फसल सुरक्षण हेतु कुछ आसान नुस्खों की जानकारी दी।
चोटी बंधक कीट की पहचान एवं रोकथाम वयस्क चोटी बंधक कीट सफेद रंग के होते हैं, मादा कीट के शरीर के पिछले हिस्सों पर नारंगी रंग का रोयेदार गुच्छा होता है, मादा कीट गन्ना की पत्तियों की निचली सतह पर लगभग 400 से 500 अण्डे देती है, अण्डों के समूह भूरे रंग के पदार्थ में ढके होते है। चोटी बंधक कीट के नियंत्रण हेतु चोटी बंधक कीट के अंड समूह वाले पत्ती एवं कीट से ग्रसित पौधों को काटकर नष्ट कर दें। इस कीट पर नियंत्रण के लिए पेडी फसल में इमिडाक्लोप्रिड रसायन 17.8 प्रतिशत को एक मि० ली० प्रति लीटर पानी के घोल बनाकर, उसमें थोड़ा सा शैम्पू मिलाकर पौधों पर छिड़काव करके इस कीट के प्रोड एवं पत्तियों पर उपस्थित सूड़ियो को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। गन्ने की फसल में प्रति एकड़ खेत में 400 लीटर पानी में 150 मि० ली० कोराजन मिला कर ड्रैचिंग करें। इस फीट पर समय से नियंत्रण नहीं किया गया तो प्रभावित गन्ना फसल कां 40 से 45 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है। इस समय गन्ना प्रजाति को0-0238 की पेढ़ी व पौधा फसल में लाल सड़न (रेड रॉट) के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। जिस समय गन्ने की फसल में फुटाव शुरू होता है, उसी समय गन्ने की गोफ (मध्य बिन्दु) बाली पत्ती से तीसरी चौथी पत्ती के बीच वाली धारी की निचली सतह पर मिट्टी जैसे भूरे रंग की रूद्राक्ष की माला जैसा बनने लगती है। जिसके पश्चात तीसरी चौथी पत्ती पीली पड़कर सूखने लगती है। लाल सड़न की रोकथाम हेतु जिन मूढों में यह लक्षण दिखाई दे रहा है उन्हें (पूरे मूढ़े) जड़ सहित उखाड़कर नष्ट कर दें। उखाड़े गये मूढ़ों के रिक्त स्थान पर ब्लीचिंग पाउडर डालकर मिट्टी से ढक दें। ग्राम के अन्य खेतों पर भी नजर रखे एवं लक्षण दिखाई देने पर उन्हें भी उपरोक्त विधि अपनाकर नष्ट करें। लाल सड़न रोग में ग्रसित खेत की मेडबंदी करना अति आवश्यक है ताकि रोग ग्रसित खेत का पानी बहकर दूसरे खेत में ना जा सकें। ऐसा ना करने पर रोग के फैलने की संभावना बढ़ जाती है। भूमि उपचार हेतु 4 कि० ग्रा० प्रति एकड़ की दर से ट्राईकोडर्मा को 2-4 कु० सड़ी हुई गोबर की खाद व कम्पोस्ट में सात से दस दिन तक मिलकर छाँव में जूट के बोरियों से ढककर रखें उसके ऊपर हल्के पानी का छिड़काव करते रहें एवं इसके बाद उपरोक्त मिश्रण को नमी की स्थिति में खेत में बिखेरकर मिट्टी में मिला दें। इसके उपरान्त हेक्सास्टाप (400 ग्राम 400 लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाये) का पर्णीय छिडकाव करें। साक्षात्कार के समय उपस्थित चीनी मिल के इकाई प्रमुख (समूह महाप्रबन्धक) प्रदीप खण्डेलवाल एवं त्रिवेणी समूह के कॉर्पोरेट गन्ना प्रमुख राजेश शुक्ला ने जानकारी दी कि चीनी मिल द्वारा इन दिनों लाल सड़न एवं कीटों की रोकथाम हेतु विशेष अभियान गन्ना प्रमुख (उप इकाई प्रमुख़) दिनेश चहल व गन्ना विकास प्रमुख अनुज सिन्हा व चीनी मिल के अन्य क्षेत्रीय अधिकारी प्रात: 6.00 बजे से लेकर शाम तक खेतों में जाकर कृषकों को रोग एवं कीटों की पहचान एवं रोकथाम के उपाय बता रहे हैं’ एवं कृषकों को इन आसान नुस्खों को अपनाकर फसल सुरक्षा हेतु प्रेरित कर रहे हैं.