अमेरिका के USTR (US Trade Representative) ने हाल ही में भारत को व्यापार वार्ताओं में “A Difficult Nut to Crack” यानी “तोड़ने में मुश्किल अखरोट” बताया है। इस बयान ने भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर नई बहस छेड़ दी है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि भारत को इस तरह की टिप्पणियों से विचलित होने की बजाय व्यापार वार्ताओं में संतुलन और आत्मविश्वास बनाए रखना चाहिए।
👉 GTRI का बड़ा बयान
GTRI के अनुसार:
भारत को किसी भी व्यापार समझौते में राष्ट्रीय हित सर्वोपरि रखना चाहिए
अमेरिका अक्सर भारत पर दबाव बनाता है ताकि अपने निर्यात को बढ़ा सके
“दिक्कत पैदा करने वाला देश” जैसी भाषा का इस्तेमाल एक रणनीतिक दबाव तकनीक भी हो सकता है
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को “खुले बाज़ार की मांगों और घरेलू उद्योग की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाकर चलना होगा।”
👉 USTR ने भारत को क्यों कहा ‘Difficult Nut to Crack’?
USTR के मुताबिक:
भारत टैरिफ कम करने में सावधानी बरतता है
भारत अपने कृषि और टेक्नोलॉजी सेक्टर की सख्त सुरक्षा करता है
कई व्यापार मुद्दों पर भारत अमेरिका से ‘समझौता नहीं’ वाली स्थिति में रहता है
इन कारणों से अमेरिका को भारत के साथ ट्रेड डील करना चुनौतीपूर्ण लगता है।
👉 भारत का स्टैंड क्यों महत्वपूर्ण?
विशेषज्ञों का मानना है कि:
भारत दुनिया का तेजी से बढ़ता उपभोक्ता बाज़ार है
किसी भी बड़े समझौते में भारत अपने MSME, कृषि, और डेटा सुरक्षा को कमजोर नहीं कर सकता
अमेरिका की अपेक्षाओं के बावजूद भारत को संतुलित और न्यायसंगत व्यापार नीति अपनानी चाहिए
👉 आगे क्या?
GTRI का सुझाव है कि भारत को:
रणनीतिक धैर्य रखते हुए
अपने बाज़ार की ताकत का उपयोग करते हुए
“नेगोशिएटेड फेयर ट्रेड” की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए
इस बयानबाज़ी के बाद भारत-अमेरिका के बीच अगले दौर की व्यापार वार्ता पर सबकी नजरें टिकी हैं।

