सुल्तानपुर- जहाँ एक तरफ पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए सरकार और बैज्ञानिक दोनों चिंतित हैं। और बृक्षा रोपड़ करने के लिए किसानों व आम जनता को प्रोत्साहित किया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ दीमक के प्रकोप से बाग, बगीचे सूखते चले जा रहे हैं।

क्षेत्र में दशकों से अच्छी बरसात न होने से जल  का स्तर धीरे धीरे नीचे को ही जा रहा है। जिससे किसानों को बाग वानी तथा खेती करने में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जल स्तर नीचे जाने से जमीन की नमी निरन्तर गायब होती जा रही है, जिससे दीमकों और कीड़े मकोड़ों का प्रभाव काफी तेजी से बढ़ रहा है। जिनकी वजह से नए तथा पुराने बाग बगीचे सूखते चले जा रहे हैं। जिनमें खास कर नए और पुराने आम के पेड़ सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। इन पर दीमकों का प्रभाव स्पस्ट रूप से देखा जा सकता है। इस विषय पर क्षेत्र के पच हत्तर वर्षीय किसान राम रूप दुबे का कहना है कि, हमारे बचपन में मूसलाधार बरसात होती थी। और खेतों में महीने भर पानी बहता रहता था। तब नहर और नल कूप की भी व्यवस्था बहुत ही कम थी। तालाबों और कुओं में साल भर पानी की कमी नहीं होती थी। उसी से फसलों तथा बागों की सिंचाई की जाती थी। तब दीमक और कीड़ों का फसलों व बगानों पर प्रभाव बहुत ही कम था। अगर इसी तरह बरसात कम होती रही, तो वह दिन दूर नहीं जब पीने के लिए पानी के भी लाले पड़ जाएंगे।

रवींद्र कुमार पाण्डेय
जी बी न्यूज ब्यूरो चीफ