सर्दी के मौसम में बच्चों को निमोनिया से करें बचाव, बुखार को न लें हल्के में : सीएमओ

– बच्चों की साफ-सफाई और खानपान का रखें, विशेष खास ध्यान : डॉ. दुर्गेश कुमार
-बच्चों को निमोनिया से बचाव में पीसीवी टीका कारगर, नियमित टीकाकरण जरूरी : डॉ. एम के माथुर

अलीगढ़, 13 जनवरी 2022।

कोरोना संक्रमण को देखते हुए एक तरफ बच्चों में भी संक्रमण होने का डर बना हुआ है। जनवरी माह का महीना चल रहा है। साथ ही इस मौसम में सर्दी जुकाम आम बात है, इस सर्दी के मौसम में बच्चों को निमोनिया का अधिक खतरा होता है। इसलिए इस मौसम में बच्चों को निमोनिया से बचाव पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है।

मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. नीरज त्यागी ने बताया कि आज कल मौसम में बदलाव हो रहा है और शिशु की देखभाल के लिए टीकाकरण भी बहुत जरूरी है। क्योंकि अगर वैक्सीनेशन लेंगे तो जिस तरह के जीवाणु या कीटाणु होते हैं, तो उनको फैलने से रोक सकते हैं। जो कहीं न कहीं निमोनिया का कारण होता है और बच्चों की बीमारियों को कम किया जा सकता है जिससे की मृत्यु दर में भी कमी हो सके ।

वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. दुर्गेश कुमार का कहना है कि सर्दी में बच्चों को निमोनिया का खतरा अधिक होता है। इस मौसम में शिशु को ठंड से बचाना चाहिए। उन्होंने बताया कि बच्चों में तेज सांस लेना, घरघराहट आदि भी निमोनिया का संकेत हो सकते हैं, निमोनिया के आम लक्षणों में खांसी, सीने में दर्द, बुखार और सांस लेने में मुश्किल आदि होते हैं। उल्टी होना, पेट या सीने के निचले हिस्से में दर्द होना, कपकपी, शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द भी निमोनिया के लक्षण हैं। पांच साल से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों में निमोनिया होने पर उन्हें सांस लेने तथा दूध पीने में भी दिक्कत होती है और भी सुस्त हो जाते हैं। बच्चों की इम्यूनिटी मजबूत बनी रहे, इसलिए जन्म के तुरंत बाद बच्चे को मां का पहला गाढ़ा दूध, जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं अवश्य मिलना चाहिए।

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निमोनिया से बचाव:

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (डीआईओ) डॉ. एम के माथुर ने कहा कि पीसीवी वैक्सीन बच्चों को निमोनिया से बचाने में सहायक होता है। इसे सरकार द्वारा नियमित टीकाकरण में शामिल किया गया है। इसे तीन खुराकों में दिया जाता है तथा यह बच्चों को निमोनिया से बचाने में अहम भूमिका अदा करता है। दो साल से कम आयु के बच्चों और दो से पांच साल के बच्चों को अलग-अलग निमोनिया के टीके लेने चाहिए। धूम्रपान से परहेज, स्वस्थ एवं संतुलित जीवन शैली तथा साफ-सफाई का ध्यान रख निमोनिया से बचा जा सकता है।

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निमोनिया के लक्षण:

-छाती में दर्द, खासकर जब आप सांस लेते हैं या खांसते हैं
-कफ या बलगम पैदा करने वाली खांसी- बलगम पीले, हरे, यहां तक कि खून के रंग जैसे अलग-अलग हो सकते हैं।
-पसीना और ठंड लगना
-बलगम वाली खांसी
– कपकपी वाला बुखार
– सांस लेने में तकलीफ या तेजी से सांस चलना
– सीने में दर्द या बेचैनी
– भूख कम लगना
– खांसी में खून आना
– कम रक्तचाप
– जी मिचलाना और उल्टी

इनके अलावा, बच्चों और बुजुर्गों को निमोनिया के कुछ अन्य लक्षणों का अनुभव हो सकता है। जबकि पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे तेज सांसें या घरघराहट जैसी स्थितियों से गुजर सकते हैं, शिशुओं में उल्टी, ऊर्जा की कमी, या पीने या खाने में कठिनाई के अलावा कोई अन्य लक्षण नहीं हो सकते हैं। वही दूसरी ओर बुजुर्ग भ्रम का अनुभव कर सकते हैं, असामान्य रूप से शरीर का तापमान कम होना आदि शामिल है।