अपरा एकादशी के महात्म्य को पढ़ने और सुनने से मिलता है सहस्त्र गोदान का फल :– धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास

जेष्ठ मास कृष्ण पक्ष की अपरा एकादशी की बहुत-बहुत बधाई 15 मई दिन सोमवार को स्मार्तो की एवं वैष्णवों की 16 मई दिन मंगलवार को अपरा एकादशी है।

धर्मराज युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि हे राजन तुमने संपूर्ण लोगों के हित के लिए यह बहुत ही उत्तम प्रश्न पूछा है कि जेष्ठमास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम क्या है? और उसका महत्व क्या है? राजेंद्र इस एकादशी का नाम अपरा है। यह बहुत पुण्य एवं अपार धन प्रदान करने वाली और बड़े-बड़े पापो का नाश करने वाली है। ब्रह्म हत्या से दबा हुआ, गोत्र की हत्या करने वाला, गर्भस्थ बालक को मारने वाला, परनिंदक तथा पर स्त्री गमन करने वाला, लंपट पुरुष भी अपरा एकादशी के सेवन से निश्चय ही पाप रहित हो जाता है। जो झूठी गवाही देता है, माप-तोल में धोखा देता है, बिना जाने ही नक्षत्रों की गणना करता है ,कूटनीति से आयुर्वेद का ज्ञाता बनकर वैद्य का काम करता है।यह सब नरक में निवास करने वाले प्राणी हैं।

परंतु अपरा एकादशी के दिन व्रत करने से यह सब पाप रहित हो जाते हैं। जो क्षत्रिय धर्म से भ्रष्ट लोग हैं ,जो शिष्य विद्या प्राप्त करके गुरु की निंदा करते हैं वह भी अपरा एकादशी के सेवन से सद्गति को प्राप्त होते हैं ।

माघमास में जब सूर्य मकर राशि पर स्थित होते हैं- मुख्यतः उस समय प्रयाग में स्नान करने से, काशी में शिवरात्रि के व्रत करने से जो पुण्य मिलता है तथा गया में पिंडदान करने से पितरों को जो तृप्ती मिलती है, बृहस्पति के सिंह राशि पर स्थित होने पर, गोदावरी में स्नान करने पर , बद्रिकाश्रम की यात्रा करने पर , सूर्य ग्रहण के समय कुरुक्षेत्र में दक्षिणा सहित यज्ञ करके हाथी घोड़ा और स्वर्ण दान करने से जिस फल की प्राप्ति होती है, उसी फल की प्राप्ति अपरा एकादशी को उपवास करने से प्राप्त होती है।

अपरा एकादशी के दिन भगवान वामन की पूजा करना चाहिए जो व्यक्ति ऐसा करता है वह समस्त पापों से मुक्त हो श्री विष्णु लोक में प्रतिष्ठित होता है। इसको पढ़ने और सुनने से सहस्त्र गोदान का फल मिलता है।

दासानुदास ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास रामानुज आश्रम संत रामानुज मार्ग शिव जी पुरम प्रतापगढ़।

कृपा पात्र परम पूज्य श्री श्री 1008 स्वामी श्री इंदिरा रमणाचार्य पीठाधीश्वर श्री जीयर स्वामी मठ जगन्नाथ पुरी।

नोट:– एकादशी का पारणा स्मार्त लोग 16 तारीख को प्रातः 7: 54 तक वैष्णव जन 17 मई को सूर्योदय के पश्चात।

उपरोक्त निर्णय श्री रंगजी मंदिर वृंदावन के व्रतोत्सव निर्णय एवं रामानुज पंचांगम भोपाल के अनुसार है।