नई दिल्ली — बुधवार को AAP सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा में नियम 267 के तहत नोटिस देकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बढ़ रहे जहरीले प्रदूषण पर चर्चा कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता ख़राब होने के कारण यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल बन चुका है। उन्होंने सदन का निर्धारित एजेंडा स्थगित कर पूरे देश के सामने “दिल्ली प्रदूषण संकट” को लाने की गुहार लगाई।

नियम 267 क्या है? क्यों अहम है इस नोटिस की मांग

नियम 267 राज्यसभा की प्रक्रिया के तहत एक व्यवस्था है, जिसके तहत सांसद लिखित रूप से प्रस्ताव देकर उस दिन के तय एजेंडे को स्थगित कर सकते हैं, ताकि कोई “अत्यंत आवश्यक” विषय सदन में उठाया जा सके। लेकिन, यह पूरी तरह से उस दिन की सूचीबद्ध कार्यवाही से हटकर है — इसलिए इसे स्वीकार करना या अस्वीकार करना राज्यसभा अध्यक्ष के विवेक पर निर्भर करता है। 2000 में संशोधन के बाद इस नियम का उपयोग बहुत कम किया गया है।

पिछले वक़्त में चुनाव सुधार, नागरिक अधिकार, साम्प्रदायिक हिंसा आदि गंभीर विषयों पर विपक्ष ने कई प्रस्ताव दिए — लेकिन अधिकांश बार अध्यक्ष ने नियम 267 के तहत चर्चा की अनुमति नहीं दी।

क्या हो सकती है कार्रवाई

यदि यह नोटिस स्वीकार हो जाती है, तो सदन में तय एजेंडा को स्थगित कर दिल्ली वायु-दूषण पर चर्चा हो सकती है। इसके तहत कई सुझाव, प्रश्न, और मांगें उठ सकती हैं — जैसे वायु-गुणवत्ता सुधार योजना, आपातकालीन स्वास्थ्य प्रोटोकॉल, प्रदूषण नियंत्रक उपाय, आदि।

लेकिन, पिछले अनुभवों के आधार पर — यह कहना मुश्किल है कि नोटिस पारित होगा या नहीं। फिर भी, सांसद संजय सिंह की यह पहल एक चेतावनी है कि दिल्ली के नागरिकों की सेहत संसद की दृष्टि से “गणतांत्रिक मुद्दा” बन चुकी है।

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