नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज एक FIR को रद्द करते हुए अहम फैसला सुनाया है। यह मामला आगरा के बमरौली कटरा थाना क्षेत्र से जुड़ा हुआ था, जिसमें अदालत ने FIR को खारिज कर दिया।
सख्त कानूनों में FIR दर्ज करने से पहले जरूरी होगी गहन जांच
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में टिप्पणी करते हुए कहा कि संपत्ति या वित्तीय विवादों में गैंगस्टर एक्ट जैसे कड़े कानूनों के दुरुपयोग को रोकना आवश्यक है। अदालत ने जोर देकर कहा कि ऐसे मामलों में FIR दर्ज करने से पहले सख्त जांच की जानी चाहिए ताकि किसी निर्दोष व्यक्ति के साथ अन्याय न हो।
अधिकारियों को नहीं मिलेगा अप्रतिबंधित विवेकाधिकार
कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों को इस अधिनियम के कड़े प्रावधानों को लागू करने में असीमित या अप्रतिबंधित विवेकाधिकार नहीं दिया जा सकता। न्यायालयों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गैंगस्टर एक्ट जैसे कठोर कानूनों के तहत अभियोजन की अनुमति देने से पहले सभी वैधानिक आवश्यकताओं का कड़ाई से पालन हो।
संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला
अदालत ने अपने फैसले में भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार को केवल इस आधार पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि उसके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी कठोर या दंडात्मक कानून को लागू करने में अधिक सावधानी और सख्ती की आवश्यकता होती है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को यूपी गैंगस्टर एक्ट के दायरे में आने वाले मामलों के लिए एक महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश के रूप में देखा जा रहा है। इससे भविष्य में ऐसे कानूनों के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिलेगी।
कोर्ट की अहम टिप्पणी -:
भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार को केवल इस कारण से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि किसी व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। जब अधिनियम को लागू करने की बात आती है तो संबंधित अधिकारियों को कोई भी अप्रतिबंधित विवेक देना स्पष्ट रूप से नासमझी होगी। कोई प्रावधान जितना कठोर या दंडात्मक होगा, उसे सख्ती से लागू करने पर उतना ही अधिक जोर और आवश्यकता होगी”